The Hyphen
  • Home
  • Hyphen Summit
  • WeCare Fellowship
  • Contact Us
The Hyphen
  • Home
  • Hyphen Summit
  • WeCare Fellowship
  • Contact Us
No Result
View All Result
The Hyphen
No Result
View All Result
Home Uncategorized

प्लास्टिक के कचरे से पैसा

by admin
December 5, 2020

आज के इस दौर में आप जहा भी देखेंगे आप को प्लास्टिक ही प्लास्टिक दिखाई देंगा । जैसे प्लास्टिक बॅग्स, फूड मटेरियल इत्यादि। आज प्लास्टिक ने हमारी रोज कि जिंदगी आसान कर दी है। आसान व लाभकारी बना दी है। पर प्लास्टिक के अतिउपयोग से वो एक पर्यावरणीय समस्या व प्रदूषण का जनक बन गया है। पर्यावरन के लिए एक गंभीर सकटं बन गया है। जिसका ना कोई तोड है ना जोड है। आज हम सभी प्लास्टिक पर निर्भर से हो गये हैं। अगर हम ध्यान दे तो पता चलता है कि हम सुबह से रात तक बहोत बार प्लास्टिक का उपयोग करते हैं ।परंतु आज प्लास्टिक हमारे लिए जहरीला जहर व समस्या भी बन गयी है। ये समस्या पूरे विश्व में एक चुनौती के तौर पर सामने आ रही हैं। शोध कर्ताओ के अनुसार प्लास्टिक को पुरी तरहा से खत्म होने में ५०० से १००० वर्ष लगते हैं। वैसे भी प्लास्टिक बॅग्स बनाने में खतरनाक रसायन का उपयोग होता हैं। जैसे जायलेन, इथिलेन अॉ क्साइड, बेंजेन ये सभी मानव प्रजाति व जीवो के लिए हानिकारक हैं।प्लास्टिक इस स्थान पर ही नहीं बल्के पुरी तरह से हमारे जीवन में समा गया हैं। पहले प्लास्टिक भूमि तक ही सीमित था परंतु अब वो पानी, हवा, नदिया, भोजन, नल का पानी, और अब वो समुद्र तट की सुंदरता को भी खत्म कर रहा हैं। WORLD HEALTH ORGANIZATION के अहवाल नुसार हमारे भोजन व पानी में १० नॅनो व ५० मिली मीटर मायक्रो प्लास्टिक कण पाए गए हैं। इस के परिणाम से हजारों समुद्री जीव मर रहे हैं। इसे को विचार में रखते हुए WORLD WILD FAUND FOR NATURE के अनुसार मच्छली १ वर्ष में हजारों टन प्लास्टिक खाति है जिस से १ MILLIONS समुद्री पक्षी मरते हैं और ७० प्रजाति प्रभावित होती हैं। इस लिए प्लास्टिक जैसी एक नकारात्मक समस्या सकारात्मक व्यापार ,ऊर्जा की और बढाना एक जिम्मेदारी व कर्त्तव्य बन गया हैं।जो हर नागरिक के लिए जरूरी हैं।
FOOD AND AGRICULTURE ORGANIZATION के अनुसार प्लास्टिक का ७०% भाग किसी भी पुनः उपयोग अथवा रिसाईकलींग में नहीं आता। इस लिए हम अगर प्लास्टिक के कचरे से पैसा, तो इस से इसकी उपयोगीता ,इस के प्रति जागरूकता, व लोगों के लिए नयी सोच, और रोजगार, स्वच्छता की और एक कदम, भविष्य की सोच इतनी चीजे पायी जा सकती हैं। WORLD ECONOMIC FORUM के अहवाल अनुसार हमारे देश में सालाना ५६ लाख टन प्लास्टिक कचरा निकलता हैं।
दुनिया के १००% प्लास्टिक कचरे में से ६०% कचरा हमारे देश का होता हैं। ६०% कचरे से अगर हम रिसायक्लिंग बिजनेस शुरू करे तो इसे फिर से उपयोग में लाया जा सकता हैं। जैसे कि तमिलनाडु में बनी प्लास्टिक की सडके आज तंत्रविज्ञान ने इतना विकास किया हैं। कि हम प्लास्टिक की सडक बना सकते हैं। तमिलनाडु के करूर जिल्हा प्रशासन और सी एम आर बीटप्लास्ट कंपनी मिलकर इस प्रकल्प को साकार रहा हैं। इस सडक बनाने में २ से ३ हजार प्लास्टिक का उपयोग होता हैं। इसी से प्रेरना लेकर तमिलनाडु सरकार जिला, राज्य, राष्ट्र, राज्यमार्ग ,प्लास्टिक की सडक बनाने की और कदम बढा रहा हैं।
ये सब चिजे प्रधानमंत्री ग्रामीण विकास योजना की तहत किया जा रहा हैं। सी एम आर कंपनी के निर्देशक वैंकट सुब्रह्मण्यम के अनुसार इसी तरहा प्लास्टिक के उपयोग से हम १० वर्ष के भीतर इस समस्या को जड से हटा सकते हैं। ये सडके सामान्य सडको से अच्छी होती हैं। अगर हम प्लास्टिक रिसायक्लिंग बिजनेस को बढावा दे अच्छी तरह से सोचे तो प्लास्टिक के कचरे से पैसा और पर्यावरण की भी समस्या को समाप्त किया जा सकता हैं। जैसे “एक तीर से दो निशान “। सभी राज्य इस से प्रेरणा लेकर सहयोग बढाए और सडक बनाए तो एक उत्तम विचार होगा।
सूक्ष्म, लघु, और मध्यम, उधम मंंत्रालय भारत सरकार का INSTITUTE FOR INDUSTRIAL DEVOLOPMENT के द्वारे प्लास्टिक के कचरे को साफ कर के उसे फिर से उपयोग में लाया जा रहा हैं। प्लास्टिक रिसायक्लिंग बिजनेस को नयी दिशा में उभारा जा रहा हैं। हर प्रांत, जिला तक पहुंचा कर जागरूक करने की कोशिश की जा रही हैं। इस तरह से बैंगलूरू में प्लास्टिक को समस्या न समझ कर एक रिसायक्लिंग बिजनेस की तरह उपयोग में लाया जा रहा हैं। जिससे वो सस्ते, टिकाऊ टाइल्स और भी चीजे बनायी जा रही हैं। इससे लोगों को सुलभता जनक सुविधा और महत्वपूर्ण रिसायक्लिंग प्लास्टिक भी समझ आ रहा हैं।
इसे केंद्र सरकार की CENTRAL INSTITUTE OF PLASTIC ENGINEERING AND TECHNOLOGY ने मान्यता भी दी हैं। आज प्लास्टिक से पैसे की और देश बढ रहा हैं। “WEST IS A WEALTH” कचरे से भी सोना बनाया जा सकता हैं। बस स्वयं तौर पर आगे आकर व जागरूक होकर प्लास्टिक को सही दृष्टि से देखना चाहिए। प्लास्टिक से बिजनेस भी किया जा सकता हैं। इस से बेरोजगार को रोजगार मिलेंगा, कलावंत का कौशल्य बढेंगा, स्वयं पूर्ण तः आएगी, सबका साथ सबका विकास होंगा, और आत्मनिर्भर बनेंगे और आत्मनिर्भरता सिर्फ अच्छे कामो में नहीं बल्के हर काम में हैं। बस परखना जरूरी हैं।”चाहे फिर सोना हो या कचरा”।

Buy JNews
ADVERTISEMENT
ShareTweetPin

Recommended Stories

Waste Management – Segregation At Source

December 5, 2020

Plastic: From Waste to Wealth

December 5, 2020

Wecare fellowship National Essay competition on Environment 2020

December 5, 2020

Popular Stories

Plugin Install : Popular Post Widget need JNews - View Counter to be installed
  • Home
  • Hyphen Summit
  • WeCare Fellowship
  • Contact Us
hello@thehyphen.in

No Result
View All Result
  • Home
  • Hyphen Summit
  • WeCare Fellowship
  • Contact Us